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Showing posts with the label #जौनसी

झूठी तसल्लियाँ अच्छी होती हैं by @jaunsee

झूठी तसल्लियाँ अच्छी होती हैं इनसे इंसान टूट कर बिखरता नहीं  इनसे इंसान विघटित होता है !!  तिल तिल , क़तरा क़तरा, आहिस्ता आहिस्ता !! यूँ भी रोज़ाना का मरना ही हम जैसों की नियति है!!  #मैं

'दर्द बनाम औरत का दिल' By Jaunsee

  ' दर्द बनाम औरत का दिल' बहते लावे की तरह  फूटता ये दर्द उस ज्वालामुखी से निकल रहा है  जो सदियों से सोया था  इसका नाम 'औरत का दिल' है !  ये समाज के ख़ूबसूरत चेहरे को भद्दी काली राख से ढक देगा  ये बद-सूरत समाज इसी लायक़ है!  #मैं

दूज का चाँद Written By @jaunsee

दूज का चाँद और उसकी बातें पूछो ये दर्द-ए-निहानी* मुझसे !

जिस्म में फंसी लड़की Written By @jaunsee

जिस्म में फंसी लड़की कंकाल में फंसे दिल को  ज़ब्त करना सिखाती है  हर रोज़.....! दिल सीख ही जायेगा एक रोज़.......!!!

मेरे दिल की कुँवारी गलियों Written By @jaunsee

मेरे दिल की कुँवारी गलियों पर चलने वाले सुन मेरे जौन का एक मिसरा है  (हाँ वही जौन जो पसन्द नहीं तुम्हे) कि ,  " जो नहीं है वो ख़ूबसूरत है" काश! कि मैं हर पल, हर साँस  ना होती तुम्हारे लिए, तब शायद  !!!  काश   !!!!

मैनें आईना देखना छोड़ दिया है Written By @jaunsee

मैनें आईना देखना छोड़ दिया है एक ख़्वाब जो कभी देखा ही नहीं मैंने, डर से! आँखों में रहता है मुझसे सवाल करता है जब आपके पास जवाब न हो तो नज़रें चुराना ही बेहतर होता है! तुमसे बेहतर ये कौन जानेगा.....है न   !!!

मुझ बेतरतीब मिट्टी को Written By @jaunsee

मुझ बेतरतीब मिट्टी को मुहब्बत की छलनी से छानो तो बची मिलेगी कुछ तानों की किरकिरी कुछ कटाक्ष के कंकड़ और कुछ जंग लगी बेड़ियाँ जिनको मेरी ज़ात जाने कितनी सदियों से ढो रही है!

एक नादान सितारा Written By Jaunsee

एक नादान सितारा  फ़लक़ से इशारा करता है  मुझे बुलाता है  और चाहता ये है कि मैं रक़्स करूँ  उसकी चाँद सी ज़मीन पर चाँदी की पायल पहन....! उसकी सतह पर डोलती रहूँ दीवाना वार झूमती रहूँ   !! लेकिन इतनी दूर से उस पागल को पाँव में पड़ी बेड़ियाँ कहाँ नज़र आती हैं    !!!

मैं शामों को अक्सर ही तुम्हारी आवाज़ मिस करती हूँ

मैं शामों को अक्सर ही तुम्हारी आवाज़ मिस करती हूँ तुम्हारी बातें मुझे ऐसे याद हैं जैसे 'ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार' नर्सरी राइम मैं भले ही बुड्ढी हो जाऊँ भले ही यादाश्त कम हो जाए लेकिन अक्सर शामों को तुमसे की हुई बातें तुम्हारी आवाज़ मैं शायद ही कभी भूलूँ मैं शायद ही..!

जिस्म में फंसी लड़की / @jaunsee

जिस्म में फंसी लड़की कंकाल में फंसे दिल को ज़ब्त करना सिखाती है हर रोज़.....!

ये पूरबी हवा का झोंका / @jaunsee

ये पूरबी हवा का झोंका जो हौले से बह रहा है ये झोंका सहला रहा है मुझे मैं हर साँस भीतर भर रही हूँ इसे ये मुझे हर सम्त से महका रहा है मैं रेत के मानिन्द इसमें घुलकर बिखरना चाहती हूँ पर ये लौट जायेगा! और मैं ज़िन्दा रहूँगी पहले जैसे क्या सिर्फ़ साँस लेते रहना ही ज़िन्दगी है?

Female / वो कौन था जिसने पहला पिंजरा बनाया

'Female' मुझे उस पहले पिंजरे से ख़ौफ़ है वो कौन था जिसने पहला पिंजरा बनाया किसी को क़ैद करने के ख़्याल से उसकी रूह नहीं काँपी आज़ादी को क़ैद कैसे किया क्या आज़ाद रूहों ने क़ैद का विरोध नहीं किया आख़िर कब तक पिंजरे बनते रहेंगे आख़िरी पिंजरा बनाओ और ख़त्म करो ये सब!

आपकी याद का सिक्का @jaunsee

आपकी याद का सिक्का मैनें संभाल कर दुपट्टे में बांधा हुआ है अक्सर एक ख़्वाब मेरी पसन्द का रोज़ाना सहला के जाता है मैं इस सिक्के को दुपट्टे से खोलकर दाहिनी हथेली से हर रात माथे पर सजा लेती हूँ! ये सिक्का मेरी सियाह रात सी ज़िन्दगी का चाँद बन कर चमकता है आपकी याद का सिक्का! #मैं

रमज़ान मुबारक

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@jaunsee

'वन ओ क्लॉक' @jaunsee

'वन ओ क्लॉक' रात के एक बजे  कुछ अजीब कैफ़ियतें तारी होती हैं  तुम्हे याद करके नदियाँ जारी होती है! काश ! तुम आते इन्हें रोकने,  इनमें बहने पर नहीं !! ये बहती हैं !!  दुपट्टा , तकिया , चादर भिगोती हैं !!!

डिज़ायर

"डिज़ायर" सुबह रंग का लिबास पहने कच्ची इंटों के पार उस दरीचे से झाँकती एक मासूम लड़की  सरसों के खेत में  उड़ती हुई उस तितली को देखती हुई  कुछ सोचती है  तभी शाम रंग का लिबास पहने आ जाते हो तुम!  और अपने नर्म होंठ रख देते हो उसकी पलकों पर और सोच हक़ीक़त में तब्दील हो जाती है जौनसी

रिक़वैस्ट

'रिक़वैस्ट' पिछली मुलाक़ात के आँसूं सूख चुके इसलिए ज़रूरी है इक दफ़ा और मिलना ये ज़मीन सब्ज़ रहे सहरा न होने पाए फूल खिलते रहें ज़ख़्म सिलते रहें सागर भरे ही रहें जंगल हरे ही रहें शामें ढलती रहें रुतें बदलती रहें! इसलिए ज़रूरी है हम फिर मिलें फिर मिलें...और आँसूं बहायें! #मैं

मैं मिलूँगी फिर एक बार

मैं मिलूँगी फिर एक बार तुमसे जल्दी ही.....! और इन लबों से सब झूट ही कहूँगी मैं! हर जवाब झूट , हर बात झूट! बस मेरी आँखें न पढ़ लेना तुम!! तुम मेरी आँखें न पढ़ लेना बस!!!  #जौनसी

आसान नहीं था

आसान नहीं था  तुमसे प्यार न करना  और उससे भी मुश्किल था, हो चुके प्यार को  ज़ाहिर न होने देना !  लेकिन मैं कामयाब हुई  कामयाब हुई ये मुश्किल काम करने में  तुमसे प्यार को कभी न स्वीकारने में  बस तुम ये नज़्म  न पढ़ लेना  ये नज़्म  न पढ़ लेना तुम !!!  #जौनसी 

हवा नहीं तुम

हवा नहीं तुम, आब नहीं तुम क्यों फिर उड़ते चले गए! राह नहीं तुम, बाब नहीं तुम क्यों फिर मुड़ते चले गए!! मोम का कोई अक्श नहीं मैं फिर क्यों पिघलती चली गई...! याद ही थी कोई धूप नहीं थी फिर क्यों दहलती चली गई !! #जौनसी