मुझ बेतरतीब मिट्टी को Written By @jaunsee





मुझ बेतरतीब मिट्टी को

मुहब्बत की छलनी से छानो तो

बची मिलेगी

कुछ तानों की किरकिरी

कुछ कटाक्ष के कंकड़

और कुछ

जंग लगी बेड़ियाँ

जिनको मेरी ज़ात

जाने कितनी सदियों से

ढो रही है!

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