मैं नहीं करुँगी स्वीकार





मैं नहीं करुँगी स्वीकार इस बार.....
 अपना व तुम्हारा प्यार !
 इस हार का हार है मुझको नागवार 
ऐ मेरे हम कनार !
 मैं नहीं करुँगी स्वीकार इस बार.....
 क्योंकि जब जब मैंने स्वीकारा है
 किसी से अपने प्यार को 
तब तब मैंने पक्का किया 
उस रिश्ते की हार को 
आहिस्ता आहिस्ता खोया है
 प्यार के अहसास को 
और फिर ज़िन्दा किया है 
एक अनमिट प्यास को
 ये मुस्लसल प्यास 
ये दरमियान के सिलसिले
इस बार हरगिज़ मिटेंगे नहीं 
ख़्वाहिशों के क़ाफ़िले
 इस बार नहीं मानूँगी हार
 मैं नहीं करुँगी स्वीकार 
अपना व तुम्हारा प्यार !

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