हवा नहीं तुम




हवा नहीं तुम, आब नहीं तुम

क्यों फिर उड़ते चले गए!

राह नहीं तुम, बाब नहीं तुम

क्यों फिर मुड़ते चले गए!!

मोम का कोई अक्श नहीं मैं

फिर क्यों पिघलती चली गई...!

याद ही थी कोई धूप नहीं थी

फिर क्यों दहलती चली गई !!


#जौनसी

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