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Showing posts from September, 2020

मैं शामों को अक्सर ही तुम्हारी आवाज़ मिस करती हूँ

मैं शामों को अक्सर ही तुम्हारी आवाज़ मिस करती हूँ तुम्हारी बातें मुझे ऐसे याद हैं जैसे 'ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार' नर्सरी राइम मैं भले ही बुड्ढी हो जाऊँ भले ही यादाश्त कम हो जाए लेकिन अक्सर शामों को तुमसे की हुई बातें तुम्हारी आवाज़ मैं शायद ही कभी भूलूँ मैं शायद ही..!

हारे हुओं का सहारा है उम्मीद

हारे हुओं का सहारा है उम्मीद जीते हुए उम्मीद नहीं किया करते!

'हिज्र के साथी'

'हिज्र के साथी' तुम्हे बिन बताए तुम्हारी आवाज़ जो रिकॉर्ड कर ली थी वो बातें, वो लता, रफ़ी के गाने सेव्ड चैट्स..! मेरे आँसूं, तुम्हारी ग़ज़लें इन सबके साथ साथ ये सितारे जिन्हें देखकर तुम्हारी शक्ल बनाती हूँ ये भी मेरे हिज्र के साथी हैं और हाँ...! इनके बिछड़ने का डर भी नहीं!

एक हसरत थोड़ी पुरानी जंग लगी

एक हसरत थोड़ी पुरानी जंग लगी एक ख़्वाब बिल्कुल ताज़ा खिला हुआ बैठे हुए थे फ़ुरसत में बातें किए जाते थे उस हसरत को ताज़ा ख़्वाब ने ऐसा झांसा दिया ...ऐसा झांसा दिया कि अब वो हसरत जंग लगा पैकर छोड़ नया रूप धरना चाहती है क्या ये मुमकिन है? ऐ ख़्वाब क्या ये वाक़ई मुमकिन है??

'केसरिया बालमा' इक तस्वीर

'केसरिया बालमा' इक तस्वीर जिसे वक़्त ने ज़र्द कर दिया जिसे तकते तकते मेरी आँखें भी ज़र्द हो आईं अब ये ज़र्द रंग मेरे जिस्म में उतर रहा है डॉक्टर कहते हैं,एनीमिया है! इन्हें नहीं मालूम, तुम्हारी केसरिया रंग की कमीज़ वाली तस्वीर मेरी ब्लड रिपोर्ट नार्मल कर देगी तुम भेजोगे न?

उसकी आंखें नैया जैसी

उसकी आंखें नैया जैसी उसकी हर इक बात समन्दर!

उसने कहा ख़ुशबू क़ैद नहीं होगी

उसने कहा ख़ुशबू क़ैद नहीं होगी मैनें इतर बनाया उसने कहा आवाज़ को बांधो तो जानू मैनें रिकॉर्डर ऑन किया! उसने कहा मुझे पकड़ो, छू के दिखाओ मैनें तस्वीरें खींची! अब कहता है, किस्मत बदलो तो बात बने और मैं अकेली इतर में नहाई उसकी तस्वीर को निहारते हुए उसकी आवाज़ सुन रही हूँ!

जिस्म में फंसी लड़की / @jaunsee

जिस्म में फंसी लड़की कंकाल में फंसे दिल को ज़ब्त करना सिखाती है हर रोज़.....!

ये पूरबी हवा का झोंका / @jaunsee

ये पूरबी हवा का झोंका जो हौले से बह रहा है ये झोंका सहला रहा है मुझे मैं हर साँस भीतर भर रही हूँ इसे ये मुझे हर सम्त से महका रहा है मैं रेत के मानिन्द इसमें घुलकर बिखरना चाहती हूँ पर ये लौट जायेगा! और मैं ज़िन्दा रहूँगी पहले जैसे क्या सिर्फ़ साँस लेते रहना ही ज़िन्दगी है?

Female / वो कौन था जिसने पहला पिंजरा बनाया

'Female' मुझे उस पहले पिंजरे से ख़ौफ़ है वो कौन था जिसने पहला पिंजरा बनाया किसी को क़ैद करने के ख़्याल से उसकी रूह नहीं काँपी आज़ादी को क़ैद कैसे किया क्या आज़ाद रूहों ने क़ैद का विरोध नहीं किया आख़िर कब तक पिंजरे बनते रहेंगे आख़िरी पिंजरा बनाओ और ख़त्म करो ये सब!