सियाह रातों में







अक्सर तवील सियाह रातों में

एक ख़्वाब 

जागती आँखों से 

दिल में उतरता है 

उस ख़्वाब में मैं 

मेरे फैले हुए हाथों में 

नीली स्याही से 

जाने किस से मिलन की लकीर बनाती हूँ 

स्याही उलट जाती है 

मेरे फैले हाथ, मेरी आँखें, मेरे ख़्वाब 

सब नीले हो जातें हैं 

यहाँ तक की तवील सियाह रातें भी 

#जौनसी

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