जौन के सहन की





जौन के सहन की थोड़ी सी माटी ले के आई हूँ ,

आई भी कहाँ हूँ वापस मैं, ख़ुद को वहीं छोड़ आई हूँ ,

संग में उनके बाग़ से,

गुलाब तोड़ के लायी हूँ,

अमरोहा की उस गली से रिश्ता जोड़ के आई हूँ!

अमरोहा मेरी जान , और जौन का मकान ❤


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