दिसम्बर की सर्द,लम्बी,काली रात में Written By @jaunsee



दिसम्बर की सर्द,लम्बी,काली रात में

सोच रही हूँ, वो जो पूछा था आपने, कि

"मैं मुहब्बत के बारे में क्या सोचती हूँ ?"

और भीतर सिर्फ़ ख़ालीपन है

यूँ तो ख़लाओं से टकराकर

आवाज़ लौटती है, इको करती है !

लेकिन यहां सिर्फ़ सन्नाटा है !

और इतने काले सन्नाटे में

रोशनी की बात करना गुनाह है! 

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