अब जब सारी आवाज़ें ख़ामोश हैं



अब जब सारी आवाज़ें ख़ामोश हैं 
और अजीब सा सुनापन पसरा है 
सब तरफ़ तब याद की वीणा का तार
क्यूँ छेड़ दिया मैनें!!
क्यों ये स्वर 
आकाशगंगाओं तक हो के 
खाली लौट आ रहा है! 
क्यों तुम्हारी सुरीली आवाज़
इसके सुर में सुर नहीं मिला रही!
तुम सुनना भूल गए हो या बोलना??

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